नदी का एक टुकड़ा

अकसर नदी के उस टुकड़े को यूँ महसूस होते रहेता की काश कोई तो मेरे बहाव को पानी दे दिया करता

सारे इंसान और जानवर मुझसे अपनी इच्छाएं लेते रहे और मुझे बिना कुछ देकर आगे बढ़ जाते...

पर वो संत जो पानी पीने आया था उसने बिलकुल ठीक कहा था कि, ए नदी के टुकड़े धैर्य रखना तुझे तेरी मंजिल जरूर मिलेगी

एकदिन ऐसा जरूर आया की वो नदी के टुकड़े की ख्वाइश हुई पुरी जब समंदर उसे थामने अपनी बाए फैलाए खड़ा था

उस वक्त वो नदी का टुकड़ा बोहोत रोया और मुस्कुराया और चल पड़ा समंदर के पास अपने सारे दुःख दर्द को सलाम किया और कहा

की ए रास्तो के पत्थर और खुदगर्जीयत अगर तुम न होते तो आज समंदर से मिलकर मेरी आत्मा इतनी तृप्त न होती

तेरे दर्द का सुक्रिया आप सभीका सुक्रिया और सबका अभिवादन करके चिर सुख में सामेल हो गया वो नदी का टुकड़ा।

ली कमल भरखड़ा

"એકાદો" નહીં આ એક જ છે ગઢવી.

જયારે જયારે પ્રવાસે નીકળું, ત્યારે આ ગઢવી જ હોય છે શ્રવણમાં. ઈ ગઢવી એટલે ઈશ્વર નું એક માત્ર દાન. આજે છમ-છમ વરસાદ આવતો હતો, અને અચાનક જ ગઢવી ...

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