सुरक्षा शब्द ही किसी नाकाबिल ने निकाला होगा
में यहा पर इंसानी सुरक्षा की बात नहीं कर रहा हु पर यह कहना चाहता हु की हमारी दुनिया हमे सुरक्षा के जिस द्वार पर ले जा रही है वो असल में बर्बादी का रास्ता है
डर लगना इंसानी जरूरत है
वहीँ भावनाए इंसान को जीने का सबक सिखाती है |
अब यहाँ पर पुरे देश के सुरक्षा की जिम्मेदारी किसी चुन्नदे लोगो पर टिकी है जो की गलत है.
हमारी हर असुरक्षाओ की जिम्मेदारी हमे हि उठानी है.
इंसान सुरक्षित होकर बलातकारी, चोर और व्यभिचारी बनता है |
- कमल