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मने खारो- खारो यमुना जी को पानी लागे

શ્રી કુષ્ણ અને શ્રી રાધાજી નાં અતિપવિત્ર અને જાજરમાન સ્નેહ સબંધ પર આલેખાયેલી એક રચના "મીથે રસ સે ભરોરી રાધા રાણી લાગે,મને ખારો ખારો યમુનાજી નો પાણી લાગે". मीठे रस से भरोरी राधा रानी लागे मने खारो- खारो यमुना जी को पानी लागे हाँ, वोही कान्हा, जिसने राधा रानी के स्नेह के सामने माँ यमुना के नीर को खारा कहें डाला, हां वोही कान्हा हाँ, वोही कान्हा, जो बारिश होने पर गीली हुई मिट्टी को यमुना में जाने से रोकने वाला, ताकि यमुना सहज ही गन्दी न हो जाए, हाँ, वोही कान्हा... हाँ, वोही कान्हा, जो माँ यशोदा के डाटने पर निकली हुई अश्रुधारा को छुपाने के लिए यमुना में डुबकी लगा लेता था, ताकि माँ यशोदा के बुलाने पर कान्हा के आंसू न देख पाए, हाँ, वोही कान्हा... हाँ, वोही कान्हा, जो चोरी किए हुए माखनको खानें और अपने साथियों को खिलवाने के बाद यमुना जी का पान करता था, ताकि बिना बतलाए लिए माखन के कारण मन और पेंट में उठी हुई अग्नि उर्जा को शांत कर पाए, हाँ, वोही कान्हा.... हाँ, वोही कान्हा, जो बड़े भाई बलराम से कुश्ती करने से पहले यमुना में स्नान करने का नियम रखने वाला, ताकि यमुना के पानी से बड़े भैया क