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इंसानियत की राह!

अगर इंसान को इस धरती पर, करोड़ो जीवों के सामने कुदरत के द्वारा दी गई अनमोल शक्तिओका प्रतिनिधित्व करने की जवाबदारी सोंपी गई है, तो इन्सान का मूल लक्ष्य उनके द्वारा किए जाने वाले हर कार्यो में, हर कोने से, अपने गंदे अतीत से बेहतर बनना ही है और वोही सोच इन्सान का सही वजूद है| अगर आप इंसानियत के रस्ते पे चल रहे हो तो आप बेहतर बनने की राह को पकड़ चुके हो| और हकीकत से इनकार करके, इंसान अपनी गलतियों पे पर्दा डालने से क्या वो खुद से बेहतर बन पाएगा? इंसान वो नहीं जो कीड़ा होता है और दूसरों कोभी अपने जैसा ही समजे। कीड़े को इंसान बनने के लिए सबक मिलना जरूरी रह जाता है और सबक देने की राह भी इंसानियत के राह से ही मिलती है आखिरमें। - कमलभरखड़ा