मने खारो- खारो यमुना जी को पानी लागे

શ્રી કુષ્ણ અને શ્રી રાધાજી નાં અતિપવિત્ર અને જાજરમાન સ્નેહ સબંધ પર આલેખાયેલી એક રચના "મીથે રસ સે ભરોરી રાધા રાણી લાગે,મને ખારો ખારો યમુનાજી નો પાણી લાગે".

मीठे रस से भरोरी राधा रानी लागे
मने खारो- खारो यमुना जी को पानी लागे

हाँ, वोही कान्हा, जिसने राधा रानी के स्नेह के सामने माँ यमुना के नीर को खारा कहें डाला, हां वोही कान्हा

हाँ, वोही कान्हा, जो बारिश होने पर गीली हुई मिट्टी को यमुना में जाने से रोकने वाला, ताकि यमुना सहज ही गन्दी न हो जाए, हाँ, वोही कान्हा...

हाँ, वोही कान्हा, जो माँ यशोदा के डाटने पर निकली हुई अश्रुधारा को छुपाने के लिए यमुना में डुबकी लगा लेता था, ताकि माँ यशोदा के बुलाने पर कान्हा के आंसू न देख पाए, हाँ, वोही कान्हा...

हाँ, वोही कान्हा, जो चोरी किए हुए माखनको खानें और अपने साथियों को खिलवाने के बाद यमुना जी का पान करता था, ताकि बिना बतलाए लिए माखन के कारण मन और पेंट में उठी हुई अग्नि उर्जा को शांत कर पाए, हाँ, वोही कान्हा....

हाँ, वोही कान्हा, जो बड़े भाई बलराम से कुश्ती करने से पहले यमुना में स्नान करने का नियम रखने वाला, ताकि यमुना के पानी से बड़े भैया की हाथों की पकड़ छुट जाए और कान्हा बस जीतता रहे, हाँ, वोही कान्हा....

हाँ, वोही कान्हा, जो गोपिओ को तंग करने हेतु यमुना के तट पर बैठा रहेता था और तंग करने नुस्के बनाते रहेता था, ताकि वे माँ यमुना की तरह उनके तन को छू भी ले और ब्रह्मचारी भी रहे, हाँ, वोही कान्हा....

हाँ, वोही कान्हा, जो पिताजी नन्द बाबा के सर दुखने की खबर सुनने पर तुरंत ही यमुना जल को अपनी छोटे-छोटे हाथो में ले आता था, ताकि माँ यशोदा उन्हें अन्य कोई और उपचार दे उससे पहले ही यमुना के नीरसे बाबा के दर्द को शांत करदे, हाँ, वो ही कान्हा....

हाँ, वोही कान्हा, जो रात को नींद आने पर अपने कानों को यमुना जी की तरफ बढ़ाने वाला, ताकि माँ यमुना के शांत नीर में हो रही हल्की-हल्की खिलबिलाहटकी लोरियां सुनते-सुनते वो मीठी नींद सो जाए, हाँ, वोही कान्हा....

हाँ, वोही कान्हा, जिसने राधा रानी के आने पर यमुना को खारा कहें डाला, हाँ, वोही कान्हा...

#कमलम्

Shree Gopal Lalji Mandir, Gokul, UP.


 

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