भारतीय विज्ञानं और आध्यात्म

पश्चिमी विज्ञान के मुताबिक जो इफेक्ट समज न आती हो उसे वे Quantum Effect में सामिल कर देते है पर हकीकत यह है की सारा विज्ञानं और ज्ञान भारतीय वेदों के इर्दगिर्द घूम रहा है और घूमेगा

Quantum Physics तो सिर्फ एक लेबल है जो उन्होंने लगा दिया उसपर, जिसपर वे विश्वास करना नहीं चाहते है पर विश्वास करने के इलावा कोई रास्ता ही न होजिसतरह वे (पश्चिम जगत) हम पर विश्वास करना चाह्त्ते ही नहीं है

हमारे संतो और पंडितो ने वर्षो-वर्षो ब्रह्मचर्य का पालन कर कोई एक विषय के एक-एक समूह को समजा होगा तब जाकर हमारा आध्यात्मिक स्पंदन, सोंच और विचार इतने गहरे हो सके है और तब जाकर हमारी इमोशनल (भावनात्मक) ग्रंथि ज्यादा विकास करी है तब जाकार हमारे यहाँ पर द्रविड़, हरप्पा/सिन्धु जैसी संस्कृति का विकास हुआ होगा

यह सारी बाते मुझे बोझ नहीं लगती है पर खोजने में मजबूर करती है की ज्ञान हमारे शरीर में स्पंदन, भावनात्मकता, उर्जा और विचार के रूप में स्थिर होती है

इसीलिए, पुरे एशिया खंड को देख लीजिए, सारे प्रदेश और देश सम्पूर्ण मांसाहारी और विकृत मानसिकताओं से भरे पड़े है पर इनका प्रभाव हम पर इतने हजारो वर्षो तक क्यों नहीं हो पाया? क्योकि हमारा ज्ञान और विज्ञानं हमारे शरिर में स्पंदन और उर्जा के रूप में मौजूद है

हमे भारतीय विज्ञानं और आध्यात्म को समज कर वह स्पंदन और भावनात्मक ऊर्जा को फिरसे जागृत करना होगा जिससे भविष्य में आने वाली सामाजिक समस्याओं का निराकरण उठाने योग्य हों|

#कमलम्

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